मनोभाव

यसमा मेरो मनमा खेलेका, बुद्धिमा मथेका कुराहरु आफ्नै लागि राख्ने गरेको छु | मैले यहाँ लेखेको कुरो ठिक-बेठिक, साचो-झुठो, सत्य-असत्य जे पनि हुन सक्छ | केहि कुरा समय अनुसार परिवर्तन होलान् भने केहि सदाबहार होलान् | आफ्नो विवेकले हाँस जस्तो भै दुध-दुध पिउनु भएपनि स्वागत्, सबैलाई वाहियात भन्नु भएपनि स्वागत्, केहि लेखि हाल्न मन लागेर लेख्नु भएर आफ्ना डोवहरु राख्नु भए पनि स्वागत्, नलेखी चुपचाप निस्कनु भएपनि स्वागत् | यहाँ झुक्केर अथवा आउनै मन लागेर, जसरि आउनु भएपनि स्वागत् | यहाँहरु सबैलाई मेरो मनोभाव पढ्न स्वागत छ |

Thursday, October 7, 2010

सबसे बड़ा अदाकार

मैले एउटा पुरानो हिन्दी कविता यहाँ राख्छु भनेको पनि निक्कै भएछ, तर साइत जुर्न सार्है गार्हो भो | आज जसरि भएपनि राखी छाड्छु भनेर कम्मर कसे | यो कबिता धेरै पुरानो हो | यो २३ दिसम्बर १९८३ को "माधुरी" फ़िल्मी पत्रिकामा इब्राहिम "अश्क" ले लेखेका हो तर मैले चाही ११९० तिर पढेको हुनुपर्छ (ठ्याक्कै थाहा भएन) | यस कविताको उम्मेदवारले आफू बाहेक कसैलाई पनि राम्रो देख्दैन जस्तो कि अहिले नेपालमा प्र. म. को लागि कसैले पनि आफू बाहेक अरुलाई उचित देख्दैन | जे होस् कविता यस प्रकार छ -

थी फिल्मसाजको नए हीरोको जुस्तजू
आए कई जवान थे देने को इंटरव्यू
इक जवान उनमे बडाही अजीब था
वो "हाफ मैड" होने के बेहद करीब था
पूछा ये फिल्मासाजने साहब बताइए
क्या आपकी पसंद है हमको सुनाइए
सबसे बड़ा बताओ अदाकार कौन है?
जो "आइडियल" है आपका फनकार कौन है?

हजरत वो कुछ ना बोले फकत मुस्कुरा दिए
तव खुदही फिल्मसाजाने कुछ नाम ले लिए
पूछा, दिलीप कुमार तो अपनी मिसाल है
बोले की छोडिये वो बहुत 'ओल्ड माल' है
पूछा की राजकपूर पसंद है जनाबको?
बोले की एक्टर न खुदाके लिए कहो.
पूछा की देव आनंद तो हीरो है आज तक?
बोले की एक्टिंग में वो जीरो है आज तक.

पूछा की राजकुमार पे कुछ राय आपकी?
बोले की नकली बाल है गंजी है खोपड़ी.
पूछा की मनोज कुमार नहीं कामयाब है?
बोले दिलीप कुमारकी नकली नकाब है.
पूछा की फिल्म देखि है राजेंद्र कुमार की?
बोले दिलिपकी नक़ल भी उससे न हो सकी.
धर्मेन्द्र तो हसीं नौजवान है
बोले की एक्टर नहीं वह पहलवान है.

पूछा फिरोजखानके बारे में कुछ कहो
बोले की मेरे मुडको बर्बाद मत करो
पूछा की जीतेन्द्रका देखा हुनर नहीं?
बोले की एक्टिंग में उसकी असर नहीं.
पूछा की शशि कपुरके बारेमे तबसिरा?
बोले की एक्टर वो हुवा अब जरा जरा.
पूछा की अपने फनका शहंशाह नहीं नासिर?
बोले की वो है शक्लसे जैसे कोई फकीर.
जब ये कहा की आज अमिताभ है मशहूर
कहने लगे की हीरो नहीं वो तो है खजूर
राजेश खन्ना कैसा है अच्छा ये कहो?
बोले की बददिमाग है और सरफिरा है वो.
पूछा की मिथुन के बारेमे क्या ख्याल है?
बोले की लोमडिकी तरह उसकी चाल है.
पूछा की ऋषि कपूरका क्या कोई बेस है?
बोले की उस बेचारेका तो लेडिज फेस है.

पूछा संजय दत्ता तो लगता है खूबरू?
बोले की किसका नाम लिया हाय आक थू!
गौरव, सनी, कुणाल, राजीव से उम्मीद?
बोले की चार फिल्मोमे हो जायेंगे सहीद.
ये सुनकर फ़िल्मसाजको बहुत हैरत हुई.
कैसा ये नौजवान है जचता नहीं कोई.
पुछाकी फिर है कोई अदाकार अब बड़ा?
बोलेकी चांस दीजिये खादिमको ये खड़ा.

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